वातानुकूल रेफ्रिजरेटर और एसी आदि उपकरणों को ठंडा करने के लिए क्लोरिन गैस को वातावरण में छोड़ने से ओजोन परत को खतरा रहता है। मरम्मत करने वाले तकनीशियनों को केंद्रीय मंत्रालय की ओर से हरिद्वार में विशेष प्रशिक्षण दिया गया।
मंगलवार को ओजोन परत को बचाने के लिए रेफ्रिजरेटर एवं एसी तकनीशियनों के दो दिवसीय प्रशिक्षण का समापन हो गया। कार्यक्रम में वातानुकूल यंत्रों में प्रयोग हो रही गैसों के प्रभाव एवं दुष्प्रभाव के बारे में बताया गया।
ट्रेनिंग सेल के आयोजक राजकुमार वाधवा ने बताया कि एसी एवं वाणिज्यिक उपकरणों में उपयोग होने वाली गैस ओजोन के पतले होने का कारण बनती है, जो जलवायु परिवर्तन में बाधा डालती है।
यह गैस जब उपकरण से लीक होती है या उपकरण के खराब होने के कारण तकनीशियनों द्वारा वातावरण में छोड़ दी जाती है तो क्लोरिन की इस प्रतिक्रिया से ओजोन परत के पतले होने से पृथ्वी पर अधिक अल्ट्रावायलेंट किरण्ेंा पहुंचाती हैं। ये किरणें त्वचा के कैंसर, आंखों के मोतियाबिंद एवं जलीय जीवन पर प्रतिकूल प्रभाव का कारण बनती हैं।
उन्होंने बताया कि कार्यशाला ओजोन सेल, पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय की ओर से आयोजित की गई। कार्यशाला में हरिद्वार, ऋषिकेश, रुड़की के 26 तकनीशियनों ने भाग लिया। इस मौके पर मानवाधिकार सुरक्षा संगठन के जिलाध्यक्ष मनीष लखानी, मोहित धुपड़, अंशु कुमार, राजेश मलिक, हरीश कक्कड़, अभिषेक, अंकुश, विन्नी, प्रतीक, अरविंद, अवधेश, भानु, धीरेंद्र, गुरप्रीत, हिमांशु, ललित, मनीष, कमल, मोहित, नरेश, प्रदीप, रवि, सागर, संदीप जुनेजा, संजीव, सुभाष, सूरज जोशी, सुनील, विशाल आदि शामिल हुए।