अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद भी श्राइन बोर्ड के विरोध में उतर आई है। परिषद की बैठक में संतों और महंतों ने श्राइन बोर्ड गठन के प्रस्ताव को वापस लेने के साथ मंगलौर में बन रहे स्लॉटर हाउस निर्माण पर तत्काल रोक लगाने की मांग की गई।
मंगलवार को अध्यक्ष श्रीमहंत नरेंद्र गिरि महाराज की अध्यक्षता में निरंजनी अखाड़े में हुई बैठक में राज्य सरकार की ओर से श्राइन बोर्ड गठन को अनुचित बताते हुए इसे मठ मंदिरों के अधिग्रहण की साजिश बताया और तुरंत वापस लेने की मांग की। परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्रीमहंत नरेंद्र गिरि महाराज ने कहा कि मठ मंदिरों के अधिग्रहण की सरकार की मंशा को कामयाब नहीं होने दिया जाएगा। उन्होंने सवाल किया कि क्या सरकार के पास व्यवस्था चलाने के लिए पैसे नहीं हैं। क्या सरकार मठ मंदिरों से अपना खर्च चलाना चाहती है। उन्होंने इसे सनातन धर्म पर कुठाराघात बताया और कहा कि इसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत और शहरी विकास मंत्री मदन कौशिक को संतों की भावना का सम्मान करते हुए तीन दिन के अंदर कैबिनेट की बैठक बुलाकर स्लॉटर हाउस का निर्माण बंद करने की घोषणा करनी चाहिए। साथ ही हरिद्वार में होने वाले महाकुंभ के संपन्न होने तक हरिद्वार नगर निगम क्षेत्र में मांस, मछली, अंडा और मदिरा की बिक्री पूरी तरह बंद करनी चाहिए। उन्होंने केंद्र सरकार के नागरिकता संशोधन विधेयक का स्वागत करते हुए कहा कि भारत में रह रहे सभी घुसपैठियों को तत्काल बाहर किया जाना चाहिए।
राम मंदिर ट्रस्ट में परिषद को करें शामिल
बैठक में श्रीमहंत रविंद्रपुरी ने कहा कि अयोध्या में बनने वाले राम मंदिर ट्रस्ट में अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष और महामंत्री के साथ तीनों बैरागी अणियों के प्रतिनिधियों को भी शामिल किया जाना चाहिए।
कुंभ को लेकर बैठक आज
बैठक में कुंभ मेले की तैयारियों को लेकर भी चर्चा हुई लेकिन महामंत्री श्रीमहंत हरिगिरि महाराज के बैठक में शामिल नहीं होने के कारण निर्णय लिया गया कि बुधवार को दोबारा बैठक बुलाई गई है जिसमें कुंभ से जुड़ी तैयारियों पर चर्चा की जाएगी। श्रीमहंत रविन्द्रपुरी ने बताया कि बुधवार को दोपहर बाद तीन बजे से बैठक पुन: बुलाई गई है।
बैठक में ये रहे मौजूद
बैठक में श्रीमहंत रामरतन गिरी महाराज, श्रीमहंत धर्मदास, श्रीमहंत राजेंददास महाराज, श्रीमहंत प्रेमगिरि, मुखिया महंत भगतराम महाराज, महंत डोगर गिरि, स्वामी रघुवन, श्रीमहंत लखनगिरि महाराज, श्रीमहंत लखन गिरि, महंत देवेंद्र सिंह शास्त्री, महंत जगतार मुनि, श्रीमहंत रविंद्रपुरी, महंत प्रेमदास, श्रीमहंत साधनानंद, महंत जसविंदर सिंह, दिगंबर रामजीदास, दिगंबर रामकिशोर दास शास्त्री, दिगंबर आशुतोष पुरी, महंत अंबिकापुरी, दिगंबर स्वामी बलवीर पुरी, श्रीमहंत नरेश गिरि, महंत प्रकाश गिरि, दिगंबर गंगा गिरि, दिगंबर राकेश गिरि, स्वामी आलोक गिरि आदि संत उपस्थित रहे।